10.7 C
Munich
Thursday, October 23, 2025

कर्नाटक के राज्यपाल ने रामलला की मूर्ति बनाने के लिए मूर्तिकार अरुण योगीराज को सम्मानित किया

Must read

उन्होंने एएनआई से कहा रामलला की मूर्ति गढ़ने वाले मूर्तिकार योगीराज खुद को बेहद आशीर्वाद की स्थिति में पाते हैं। उन्होंने कहा मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। मेरे पूर्वजों परिवार के सदस्यों और भगवान रामलला का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है जैसे मैं किसी सपनों की दुनिया में हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़ा दिन है।

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने रविवार को बेंगलुरु के राजभवन में मूर्तिकार अरुण योगीराज को अयोध्या राम मंदिर में स्थापित कृष्ण शिला पत्थर से बनी 51 इंच की रामलला की मूर्ति बनाने के लिए सम्मानित किया। अयोध्या में रामलला की मूर्ति के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के कुछ दिनों बाद रामलला की मूर्ति को तराशने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा कि वह इस अवसर के लिए भगवान के आभारी हैं।

अरुण योगीराज ने कहा, “लोग मुझे जो प्यार दिखा रहे हैं, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं इस अवसर के लिए भगवान का बहुत आभारी हूं। भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया पत्थर मैसूर जिले का है। मुझे लगता है कि यह भगवान राम का आशीर्वाद है कि मुझे यह अवसर मिला।” रामलला की मूर्ति तराशने वाले मूर्तिकार योगीराज 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे।

उन्होंने एएनआई से कहा, रामलला की मूर्ति गढ़ने वाले मूर्तिकार योगीराज खुद को बेहद आशीर्वाद की स्थिति में पाते हैं। उन्होंने कहा, “मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। मेरे पूर्वजों, परिवार के सदस्यों और भगवान रामलला का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है जैसे मैं किसी सपनों की दुनिया में हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़ा दिन है।”

मूर्तिकार ने कहा, ‘‘मैंने कई रात जागकर मूर्ति पर बारीकी से काम किया क्योंकि ऐसा करना आवश्यक था। मुझे लगता है कि मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं और आज मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मूर्ति बनाने की कला अपने पिता से सीखी। आज मेरी मूर्ति को यहां देखकर उन्हें बहुत गर्व होता।’’

इस ऐतिहासिक घटना को व्यक्तिगत रूप से देखना योगीराज के लिए गर्व का क्षण था, लेकिन मैसूरु में उनके परिवार ने इस समारोह को टीवी पर देखा। उनकी पत्नी विजेता ने पिछले हफ्ते पीटीआई से कहा था, ‘‘उन्होंने (योगीराज) कई रात जागकर रामलला की मूर्ति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल से ही बात कर पाते थे और वह परिवार को मुश्किल से समय देते थे।’’

मैसूरु विश्वविद्यालय से एमबीए अरुण योगीराज ने एक निजी कंपनी के मानव संसाधन विभाग में छह महीने तक प्रशिक्षण लिया था। मूर्तिकार ने कहा, ‘‘लेकिन, मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़ दी तथा पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मैसूरु लौट आया।’’

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला की मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में किया गया, जिन्होंने समारोह का नेतृत्व किया। इस कार्यक्रम में 1,500-1,600 प्रतिष्ठित अतिथियों सहित लगभग 8,000 आमंत्रित लोगों ने भाग लिया।

‘राम नगरी’ अयोध्या ने भी वैश्विक ध्यान खींचा, जहां बड़े पैमाने पर मिट्टी के दीये जलाए गए और शहर के विभिन्न हिस्सों में रात के समय पटाखे जलाए गए और आसमान को चकाचौंध कर दिया गया। 22 जनवरी को अयोध्या में प्रसिद्ध सरयू घाट पर उत्सव मनाया गया, जिसमें स्थानीय लोग रामलला के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते दिखे।

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article