26.6 C
Munich
Sunday, July 13, 2025
Home Blog Page 8

दिल्ली से लेकर मुंबई और कोलकाता तक, देखें कैसे मनाया जा रहा नवरात्रि का त्योहार

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन दिल्ली के झंडेवालान माता मंदिर में पारंपरिक आरती में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोधपुर पार्क में दुर्गा पूजा समारोह का उद्घाटन किया।
नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। दिल्ली से लेकर मुंबई और जालंधर, कोलकाता तक भक्त पंडालों में पहुंचे और नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के दर्शन किए। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन दिल्ली के झंडेवालान माता मंदिर में पारंपरिक आरती में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ दिवसीय उत्सव पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में देवी के विभिन्न रूपों को पूजा जाता है।
नवरात्रि से पहले, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने दिव्य स्त्री की पूजा और सम्मान में नवरात्रि के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एक बयान में कहा, “नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि हम मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। यह त्यौहार महिलाओं की शक्ति का प्रतीक है और हमारी संस्कृति और परंपराओं का प्रतिबिंब है।
जोधपुर पार्क में दुर्गा पूजा समारोह का उद्घाटन
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को जोधपुर पार्क में दुर्गा पूजा समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने संबोधन में उत्सव के दौरान सभी की भलाई की कामना करते हुए एकता और समावेशिता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मां दुर्गा सभी को स्वस्थ रखेंगी। हम सभी धर्मों, जातियों और भाषाओं का सम्मान करते हैं। प्रशासन आपके साथ है, ऐसे में यह भी महत्वपूर्ण है कि आप पूजा के दौरान हमारा समर्थन करें।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है त्योहार
भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान दूर्गा पूजा की जाती है। यह त्योहार राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के जश्न के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दक्षिणी राज्यों में, यह त्यौहार दुर्गा या काली की जीत का सम्मान करता है, जबकि गुजरात में, नवरात्रि को पारंपरिक गरबा नृत्य के बाद आरती के साथ मनाया जाता है। पूरे भारत में, नवरात्रि उत्सव में नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसमें मंच की सजावट, पाठ और शास्त्रों का जाप शामिल है।
फसल के मौसम से जुड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम
यह त्यौहार फसल के मौसम से जुड़ा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है, जिसमें पंडाल प्रतियोगिताएं, इन प्रतिष्ठानों में पारिवारिक दौरे और शास्त्रीय और लोक नृत्यों के सार्वजनिक प्रदर्शन शामिल हैं। अंतिम दिन, विजयादशमी , बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। देवी दुर्गा की मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित किया जाता है, या राक्षसों के पुतलों को आतिशबाजी के साथ जलाया जाता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है। यह त्यौहार आगामी दिवाली समारोहों के लिए भी मंच तैयार करता है, जो विजयादशमी के 20 दिन बाद आता है ।

भारत की पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को लेकर ताजा अपडेट आया सामने, अब ट्रायल का इंतजार

नई दिल्लीः वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का ट्रायल रन जल्द ही शुरू किया जा सकता है। रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन आज रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई पहुंच जाएगी। अभी तक ये वंदे भारत स्लीपर ट्रेन बीएमएल बेंगलुरू की फैसिलिटी में तैयार की जा रही थी। ट्रेन को आईसीएफ की तरफ से अलग-अलग मापदंडों पर चेक करने के लिए सबसे पहले ऑसिलेशन ट्रायल होगा।
दिसंबर में हो सकता है उद्घाटन

इसके बाद स्टेबिलिटी ट्रायल, स्पीड ट्रायल और अन्य तरीकों के टेक्निकल ट्रायल्स के बाद इसे यात्रियों के लिए चलाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में करीब दो महीने का समय लग सकता है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर तक इसका कमर्शियल रन शुरू हो जा जाएगा। इसका किराया राजधानी गाड़ियों की तर्ज पर होगा।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर में होंगे इतने कोच

नई वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन में 16 कोच और 823 बर्थ होंगे और इसमें 11 3AC कोच (611 बर्थ), 4 2AC कोच (188 बर्थ), और 1 1AC कोच (24 बर्थ) होंगे। ट्रेन में यात्रियों को झटके भी नहीं लगेंगे।

ट्रेन में होगी ये सुविधाएं

वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन के कोच में रीडिंग लैंप, चार्जिंग आउटलेट, एक स्नैक टेबल और एक मोबाइल/मैगजीन होल्डर होगा। कोच कवच टक्कर बचाव प्रणाली से लैस होंगे। सभी कोचों में स्टेनलेस स्टील कार बॉडी होगी। जीएफआरपी आंतरिक पैनल वहां होंगे। डिब्बों में अग्नि सुरक्षा अनुपालन होगा (EN 45545)। स्वचालित दरवाजे होंगे।

180 किमी तक होगी स्पीड

बता दें कि भारतीय रेलवे ने 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के निर्माण का ऑर्डर दिया है। बीईएमएल द्वारा बनाई जा रही वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, वंदे भारत का नया वैरिएंट है। उम्मीद है कि यह यात्री सुविधा, स्पीड और सुरक्षा के मामले में राजधानी एक्सप्रेस को पीछे छोड़ देगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल कहा था कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के मूल डिजाइन को मंजूरी दे दी गई है और ट्रेन का निर्माण शुरू हो गया है। 16 डिब्बों वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के 10 रेक 160 किमी प्रति घंटे (परीक्षण के दौरान 180 किमी प्रति घंटे) की अधिकतम परिचालन गति के साथ चलेंगे।

भारत की पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को लेकर ताजा अपडेट आया सामने, अब ट्रायल का इंतजार

नई दिल्लीः वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का ट्रायल रन जल्द ही शुरू किया जा सकता है। रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन आज रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई पहुंच जाएगी। अभी तक ये वंदे भारत स्लीपर ट्रेन बीएमएल बेंगलुरू की फैसिलिटी में तैयार की जा रही थी। ट्रेन को आईसीएफ की तरफ से अलग-अलग मापदंडों पर चेक करने के लिए सबसे पहले ऑसिलेशन ट्रायल होगा।
दिसंबर में हो सकता है उद्घाटन

इसके बाद स्टेबिलिटी ट्रायल, स्पीड ट्रायल और अन्य तरीकों के टेक्निकल ट्रायल्स के बाद इसे यात्रियों के लिए चलाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में करीब दो महीने का समय लग सकता है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर तक इसका कमर्शियल रन शुरू हो जा जाएगा। इसका किराया राजधानी गाड़ियों की तर्ज पर होगा।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर में होंगे इतने कोच

नई वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन में 16 कोच और 823 बर्थ होंगे और इसमें 11 3AC कोच (611 बर्थ), 4 2AC कोच (188 बर्थ), और 1 1AC कोच (24 बर्थ) होंगे। ट्रेन में यात्रियों को झटके भी नहीं लगेंगे।

ट्रेन में होगी ये सुविधाएं

वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन के कोच में रीडिंग लैंप, चार्जिंग आउटलेट, एक स्नैक टेबल और एक मोबाइल/मैगजीन होल्डर होगा। कोच कवच टक्कर बचाव प्रणाली से लैस होंगे। सभी कोचों में स्टेनलेस स्टील कार बॉडी होगी। जीएफआरपी आंतरिक पैनल वहां होंगे। डिब्बों में अग्नि सुरक्षा अनुपालन होगा (EN 45545)। स्वचालित दरवाजे होंगे।

180 किमी तक होगी स्पीड

बता दें कि भारतीय रेलवे ने 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के निर्माण का ऑर्डर दिया है। बीईएमएल द्वारा बनाई जा रही वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, वंदे भारत का नया वैरिएंट है। उम्मीद है कि यह यात्री सुविधा, स्पीड और सुरक्षा के मामले में राजधानी एक्सप्रेस को पीछे छोड़ देगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल कहा था कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के मूल डिजाइन को मंजूरी दे दी गई है और ट्रेन का निर्माण शुरू हो गया है। 16 डिब्बों वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के 10 रेक 160 किमी प्रति घंटे (परीक्षण के दौरान 180 किमी प्रति घंटे) की अधिकतम परिचालन गति के साथ चलेंगे।

अरविंद केजरीवाल कल खाली करेंगे CM आवास, जानें- अब कहां रहेंगे?

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को सीएम आवास खाली करेंगे. आप नेताओं, पार्षदों, विधायकों और सांसदों ने अरविंद केजरीवाल को अपना घर देने की पेशकश की थी.

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को सीएम आवास खाली करेंगे. इसके बाद अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा में रहेंगे. वह ‘आप’ सांसद अशोक मित्तल के घर में रहेंगे. अशोक मित्तल का घर 5 फिरोजशाह रोड पर है.

‘आप’ प्रमुख नई दिल्ली से अपनी विधानसभा और दिल्ली चुनाव का प्रचार देखेंगे. पार्टी नेताओं, पार्षदों, विधायकों और सांसदों ने अरविंद केजरीवाल को अपना घर देने की पेशकश की थी. इस तरह एबीपी न्यूज़ की ख़बर पर एक बार फिर मुहर लगी है. एबीपी न्यूज़ ने पहले ही बताया था कि अरविंद केजरीवाल अशोक मित्तल के घर रहेंगे.

इससे पहले ‘आप’ की ओर से बताया गया था कि अरविंद केजरीवाल सिविल लाइंस में ‘फ्लैगस्टाफ रोड’ पर स्थित दिल्ली के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास अगले एक दो दिनों में खाली कर देंगे, क्योंकि उनके लिए नई दिल्ली क्षेत्र में एक आवास तय हो गया है, जहां वह अपने परिवार के साथ रहने के लिए आएंगे.

आप’ सूत्रों ने किया था ये दावा

पार्टी सूत्रों ने दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ मंडी हाउस के पास फिरोज शाह रोड पर ‘आप’ के राज्यसभा सांसदों को आवंटित दो सरकारी बंगलों में से एक में रहने के लिए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि दोनों बंगले रविशंकर शुक्ला लेन स्थित ‘आप’ मुख्यालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं.

इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले केजरीवाल ने कहा कि वह नवरात्रि के दौरान फ्लैगस्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास खाली कर देंगे. पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल अगले एक-दो दिनों में मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर देंगे, क्योंकि उनके और उनके परिवार के लिए एक आवास तय कर लिया गया है.’’

पार्टी ने कहा कि केजरीवाल अपने परिवार के साथ नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में रहेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व वे दिल्ली विधानसभा में करते हैं. इससे पहले, ‘आप’ ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के रूप में केजरीवाल को आधिकारिक आवास दिए जाने की भी मांग की थी.

अरविंद केजरीवाल कल खाली करेंगे CM आवास, जानें- अब कहां रहेंगे?

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को सीएम आवास खाली करेंगे. आप नेताओं, पार्षदों, विधायकों और सांसदों ने अरविंद केजरीवाल को अपना घर देने की पेशकश की थी.

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को सीएम आवास खाली करेंगे. इसके बाद अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा में रहेंगे. वह ‘आप’ सांसद अशोक मित्तल के घर में रहेंगे. अशोक मित्तल का घर 5 फिरोजशाह रोड पर है.

‘आप’ प्रमुख नई दिल्ली से अपनी विधानसभा और दिल्ली चुनाव का प्रचार देखेंगे. पार्टी नेताओं, पार्षदों, विधायकों और सांसदों ने अरविंद केजरीवाल को अपना घर देने की पेशकश की थी. इस तरह एबीपी न्यूज़ की ख़बर पर एक बार फिर मुहर लगी है. एबीपी न्यूज़ ने पहले ही बताया था कि अरविंद केजरीवाल अशोक मित्तल के घर रहेंगे.

इससे पहले ‘आप’ की ओर से बताया गया था कि अरविंद केजरीवाल सिविल लाइंस में ‘फ्लैगस्टाफ रोड’ पर स्थित दिल्ली के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास अगले एक दो दिनों में खाली कर देंगे, क्योंकि उनके लिए नई दिल्ली क्षेत्र में एक आवास तय हो गया है, जहां वह अपने परिवार के साथ रहने के लिए आएंगे.

आप’ सूत्रों ने किया था ये दावा

पार्टी सूत्रों ने दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ मंडी हाउस के पास फिरोज शाह रोड पर ‘आप’ के राज्यसभा सांसदों को आवंटित दो सरकारी बंगलों में से एक में रहने के लिए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि दोनों बंगले रविशंकर शुक्ला लेन स्थित ‘आप’ मुख्यालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं.

इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले केजरीवाल ने कहा कि वह नवरात्रि के दौरान फ्लैगस्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास खाली कर देंगे. पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल अगले एक-दो दिनों में मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर देंगे, क्योंकि उनके और उनके परिवार के लिए एक आवास तय कर लिया गया है.’’

पार्टी ने कहा कि केजरीवाल अपने परिवार के साथ नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में रहेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व वे दिल्ली विधानसभा में करते हैं. इससे पहले, ‘आप’ ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के रूप में केजरीवाल को आधिकारिक आवास दिए जाने की भी मांग की थी.

बांग्लादेश ने भारत सहित 5 देशों से वापस बुलाए अपने राजदूत, संयुक्त राष्ट्र, ऑस्ट्रेलिया भी लिस्ट में शामिल

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बांग्लादेश और भारत के संबंध कुछ खास नहीं रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान के अलावा जिन अन्य लोगों को वापस बुलाया गया है, उनमें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में बांग्लादेश के राजदूत शामिल हैं। जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, वह आने वाले महीनों में रिटायर होने वाले थे। भारत में उच्चायुक्त रहमान भी इनमें शामिल हैं।

यूनुस सरकार के फैसलों से खुश नहीं है भारत
बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया। वहीं, हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। ढाका में कार्यवाहक व्यवस्था ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराने के लिए लगातार प्रयास किए। हालांकि, यूनुस ने भारत की आलोचना की थी और शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया था। इससे भारतीय पक्ष नाखुश था और दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो पाई।

2022 में उच्चायुक्त बने थे रहमान
कैरियर राजनयिक रहमान को जुलाई 2022 में भारत में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में दूत के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने विकास सहयोग को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों के बीच बेहतर संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश ने भारत सहित 5 देशों से वापस बुलाए अपने राजदूत, संयुक्त राष्ट्र, ऑस्ट्रेलिया भी लिस्ट में शामिल

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बांग्लादेश और भारत के संबंध कुछ खास नहीं रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान के अलावा जिन अन्य लोगों को वापस बुलाया गया है, उनमें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में बांग्लादेश के राजदूत शामिल हैं। जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, वह आने वाले महीनों में रिटायर होने वाले थे। भारत में उच्चायुक्त रहमान भी इनमें शामिल हैं।

यूनुस सरकार के फैसलों से खुश नहीं है भारत
बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया। वहीं, हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। ढाका में कार्यवाहक व्यवस्था ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराने के लिए लगातार प्रयास किए। हालांकि, यूनुस ने भारत की आलोचना की थी और शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया था। इससे भारतीय पक्ष नाखुश था और दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो पाई।

2022 में उच्चायुक्त बने थे रहमान
कैरियर राजनयिक रहमान को जुलाई 2022 में भारत में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में दूत के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने विकास सहयोग को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों के बीच बेहतर संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मणिपुर के उखरुल में हिंसा, 3 की मौत:10 से ज्यादा घायल, जमीन विवाद में दो पक्षों में फायरिंग; चुराचांदपुर में उग्रवादी की हत्या

मणिपुर के उखरुल जिले में बुधवार को नगा समुदाय के दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। 10 से ज्यादा घायल हैं। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163, 2023 की उप-धारा 1 के तहत इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। अगले आदेश तक लोगों के घरों से निकलने पर रोक है।

पुलिस ने बताया कि दोनों पक्ष नगा समुदाय के हैं, लेकिन हुनफुन और हंगपुंग नाम के दो अलग-अलग गांव हैं। दोनों पक्ष एक जमीन पर अपना दावा करते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत विवादित जमीन की सफाई को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई। इलाके में असम राइफल्स को तैनात किया गया है।

चुराचांदपुर में उग्रवादी की गोली मारकर हत्या
दूसरी तरफ, चुराचांदपुर जिले के लीशांग गांव के पास मंगलवार को अज्ञात लोगों ने एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के टाउन कमांडर की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान जिले के कपरंग गांव के निवासी सेखोहाओ हाओकिप के रूप में की गई।

पुलिस ने बताया कि मृतक यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (UKNA) का सदस्य था। घटना कल सुबह 12:15 बजे चुराचांदपुर में टोरबुंग बंगले से करीब 1.5 किमी दूर हुई। पुलिस ने हाओकिप के शव को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी में रखवा दिया है।

थौबल में 48 घंटे का बंद, जनजीवन प्रभावित
इधर, मणिपुर के थौबल जिले में उग्रवादियों द्वारा दो युवकों की किडनैपिंग के विरोध में जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने 48 घंटे का बंद बुलाया था। इससे मंगलवार, 1 अक्टूबर को सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।

पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों ने ​​​​​​ 27 सितंबर को दो स्थानीय युवकों का अपहरण कर लिया था। इसे लेकर JAC ने 1 अक्टूबर को सुबह 3 बजे से बंद का आह्वान किया है। JAC ने 30 अक्टूबर की रात तक युवाओं को रिहा नहीं किए जाने पर विरोध-प्रदर्शन और जिले में पूर्ण बंद की धमकी दी थी। सोमवार को थौबल मेला ग्राउंड में विरोध-प्रदर्शन भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे (NH) भी जाम कर दिया।

दरअसल, कुकी मिलिटेंट्स ने तीन युवकों को बंदी बनाया था, उनमें से एक को छोड़ दिया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है की बाकी दोनों को भी छोड़ा जाए। प्रदर्शन में पीड़ितों के परिवार भी शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान पीड़ित थोकचोम थोइथोइबा की मां बेहोश हो गईं।

जॉइंट एक्शन कमेटी के रिप्रेजेंटेटिव ने CM एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। उनका कहना है कि राज्य सरकार को दी गई समय सीमा सोमवार दोपहर 1:30 बजे ही समाप्त हो चुकी है। इसलिए वे विरोध-प्रदर्शन के लिए बाहर जा रहे हैं।

मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया।इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत।

स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि, 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था।

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर के उखरुल में हिंसा, 3 की मौत:10 से ज्यादा घायल, जमीन विवाद में दो पक्षों में फायरिंग; चुराचांदपुर में उग्रवादी की हत्या

मणिपुर के उखरुल जिले में बुधवार को नगा समुदाय के दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। 10 से ज्यादा घायल हैं। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163, 2023 की उप-धारा 1 के तहत इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। अगले आदेश तक लोगों के घरों से निकलने पर रोक है।

पुलिस ने बताया कि दोनों पक्ष नगा समुदाय के हैं, लेकिन हुनफुन और हंगपुंग नाम के दो अलग-अलग गांव हैं। दोनों पक्ष एक जमीन पर अपना दावा करते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत विवादित जमीन की सफाई को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई। इलाके में असम राइफल्स को तैनात किया गया है।

चुराचांदपुर में उग्रवादी की गोली मारकर हत्या
दूसरी तरफ, चुराचांदपुर जिले के लीशांग गांव के पास मंगलवार को अज्ञात लोगों ने एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के टाउन कमांडर की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान जिले के कपरंग गांव के निवासी सेखोहाओ हाओकिप के रूप में की गई।

पुलिस ने बताया कि मृतक यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (UKNA) का सदस्य था। घटना कल सुबह 12:15 बजे चुराचांदपुर में टोरबुंग बंगले से करीब 1.5 किमी दूर हुई। पुलिस ने हाओकिप के शव को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी में रखवा दिया है।

थौबल में 48 घंटे का बंद, जनजीवन प्रभावित
इधर, मणिपुर के थौबल जिले में उग्रवादियों द्वारा दो युवकों की किडनैपिंग के विरोध में जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने 48 घंटे का बंद बुलाया था। इससे मंगलवार, 1 अक्टूबर को सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।

पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों ने ​​​​​​ 27 सितंबर को दो स्थानीय युवकों का अपहरण कर लिया था। इसे लेकर JAC ने 1 अक्टूबर को सुबह 3 बजे से बंद का आह्वान किया है। JAC ने 30 अक्टूबर की रात तक युवाओं को रिहा नहीं किए जाने पर विरोध-प्रदर्शन और जिले में पूर्ण बंद की धमकी दी थी। सोमवार को थौबल मेला ग्राउंड में विरोध-प्रदर्शन भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे (NH) भी जाम कर दिया।

दरअसल, कुकी मिलिटेंट्स ने तीन युवकों को बंदी बनाया था, उनमें से एक को छोड़ दिया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है की बाकी दोनों को भी छोड़ा जाए। प्रदर्शन में पीड़ितों के परिवार भी शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान पीड़ित थोकचोम थोइथोइबा की मां बेहोश हो गईं।

जॉइंट एक्शन कमेटी के रिप्रेजेंटेटिव ने CM एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। उनका कहना है कि राज्य सरकार को दी गई समय सीमा सोमवार दोपहर 1:30 बजे ही समाप्त हो चुकी है। इसलिए वे विरोध-प्रदर्शन के लिए बाहर जा रहे हैं।

मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया।इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत।

स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि, 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था।

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद में मिलावट को लेकर हिन्दू समाज में जनआक्रोश

अलीगढ़ । तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद में मिलावटी घी, जानवर की चर्बी को लेकर हिंदू समाज में आक्रोश पैदा हो गया आज दिनांक 28 सितंबर 2024, शनिवार को विश्व हिंदू परिषद व समस्त हिंदू समाज हरिगढ़ द्वारा हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और भेदभाव और उनकी आस्था और भावनाओं को ठेस पहुँचाने के प्रयासों के विरोध में जनआक्रोश रैली निकालकर विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। वार्ष्णेय महाविद्यालय क्रीड़ा स्थल से अचल ताल, मदारगेट, दुबे की पड़ाव होते हुए अचलताल स्थित रामलीला मैदान पर आकार समापन हुआ। तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद में मिलावत के विरोध में सीबीआई जांच व दोषियों पर कार्यवाही हेतु राष्ट्रपति जी को सम्बोधित कर निम्नलिखित मांगे रखते हुए एसीएम को ज्ञापन सौंपा।
विश्व हिंदू परिषद व समस्त हिंदू समाज की मांग निम्नलिखित है:
1). तिरुपति बालाजी मंदिर सहित सभी हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
2). मंदिरों की संपत्ति और आय का उपयोग मंदिरों के विकास और हिंदुओं के धार्मिक कार्यों के लिए किया जाए।
3). मंदिरों के संचालन के लिए एक निश्चित व्यवस्था का प्रारूप तैयार किया जाए.
4). सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं द्वारा मंदिरों की संपत्ति और आय के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाए।
हिंदू समाज की यह मांग संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के अनुसार है, जो हिंदुओं को अपने धर्म के अनुसार जीने और पूजा करने का अधिकार देता है।
जन आक्रोश विशाल धरना प्रदर्शन रैली में महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती, हिंदू युवा वाहिनी विभाग प्रमुख महंत योगी कौशलनाथ, विश्व हिंदू परिषद महानगर कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश शास्त्री, कोल विधायक अनिल पाराशर, पूर्व पार्षद नितिन अरोरा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महानगर कार्यवाह रतन वार्ष्णेय, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूर्व विश्व विद्यालय संयोजक (गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर) हिमांक अरोरा, विश्व हिंदू परिषद विभाग संयोजक मुकेश राजपूत, विश्व हिंदू परिषद महानगर मंत्री मयंक कुमार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विभाग प्रचारक गोविंद, विभाग कार्यवाह योगेश, महानगर प्रचारक विक्रांत, सह प्रचार प्रमुख राजनारायण सिंह, आदि अनुषांगिक संगठनो के प्रतिनिधि एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर डॉक्टर अन्नपूर्णा भारती ने कहा, ‘आज भारत में बड़ी ही विषम स्थितियों पैदा हो गई हैं। यह जिहादी मानसिकता ही है कि जूस में गंदगी मिलाई जा रही है। दुका जलाई जा रही हैं। बहन बेटियों की आबरू से खेला जा रहा है। अब तो और भी विषम स्थिति पैदा हो गई कि जो हिंदुओं के आस्था के केंद्र श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में भी चर्बी मिलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि धर्म को भ्रष्ट करने वालों को हम खुद मौका दे रहे हैं क्योंकि आज हिंदू समाज कट्टर नहीं है।’
महामंडलेश्वर ने कहा कि जब भी हम लोग किसी गलत काम का विरोध करते हैं तो कभी प्रशासन दुश्मन बनता है तो कभी वोट बैंक की राजनीति हमारे विरोध में आ जाती है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह और वीर सावरकर जैसा बनना चाहिए। इन महान देश भक्तों को कोई इसलिए नहीं डिगा पाया क्योंकि वह अडिग थे।
महामंडलेश्वर ने साथ ही यह भी कहा कि जिस बांग्लादेश में हमारी बहन -बेटियों और हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहा है, उसके साथ भारत का मैच हो रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उधर तिरुपति बालाजी में मिलावटी लड्डू देकर इतना बड़ा कांड हो जाता है और सब शांत हैं।

ई खबर मीडिया के लिए अलीगढ़ से नितिन अरोड़ा की रिपोर्ट