21.2 C
Munich
Monday, July 14, 2025
Home Blog Page 10

बिहार के बगहा में मगरमच्छ घर में घुसा, राजस्थान में तापमान करीब 40 डिग्री; आज 11 राज्यों में बारिश का अलर्ट

देश में मानसून सीजन अब खत्म होने वाला है। दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों को छोड़कर किसी राज्यों में बारिश का अलर्ट नहीं है। नेपाल में भारी बारिश के चलते बिहार के 16 जिलों में बाढ़ आ गई है। करीब 10 लाख आबादी प्रभावित हैं।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में एयरफोर्स ने मोर्चा संभाल लिया है। वायुसेना हेलिकॉप्टर से लोगों तक फूड पैकेट्स पहुंचाए जा रहे हैं। पश्चिम चंपारण के बगहा में मंगलवार रात टाइगर रिजर्व के पास रिहायशी इलाके में एक मगरमच्छ घर में घुस गया। वन विभाग की टीम ने कई घंटों की मशक्कत के बाद मगरमच्छ का रेस्क्यू किया।

दूसरी तरफ, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बारिश का दौर खत्म हो गया है। राजस्थान के कई जिलों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। मंगलवार को गंगानगर, फलोदी में सबसे ज्यादा 39.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को अधिकतम तापमान 37.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। रायपुर में दिन का तापमान 35.2 डिग्री रहा जो सामान्य से 2.8 डिग्री ज्यादा था। मध्य प्रदेश का खजुराहो 36.8 डिग्री तापमान के साथ राज्य में सबसे गर्म रहा। मौसम विभाग ने बुधवार को 11 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

देश में बाढ़-लैंडस्लाइड की घटनाओं में इस साल 1500 लोगों की मौत मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मानसून के इस सीजन (1 जून से 30 सितंबर) में सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हुई। दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के लॉन्ग पीरियड सेशन (LPA) में हुई बारिश का एवरेज 108% रहा। इस दौरान 934.8 mm बारिश दर्ज की गई। ये साल 2020 के बाद सबसे अधिक है।

मौसम विभाग ने 106 % बारिश के पूर्वानुमान जताया था, जो सरपास हो गया। एक्चुअल बारिश और सामान्य बारिश दोनों में 4% का अंतर रहा। इस साल मानसून ने चार महीने से ज्यादा बरसा।

विभाग के मुताबिक, मानसून के मौजूद सीजन में बारिश से जुड़ी घटनाओं में पूरे देश में 1492 लोगों की मौत हुई। बाढ़-बारिश से घटनाओं में 895 लोगों की जान गई, जबकि 597 मौतें आंधी-बिजली गिरने से हुईं।

मौजूदा मानसून सीजन में 525 भारी वर्षा की घटनाएं हुईं। बीते 5 साल में ये सबसे ज्यादा रहीं। इस दौरान 115.6 mm और 204.5 mm के बीच बारिश हुई। बहुत भारी बारिश की घटनाएं 96 रहीं, इस दौरान 204.5 mm से ज्यादा बारिश हुई।

MP में 18% ज्यादा मानसूनी बारिश, बिहार में 19% कम देश में 1 जून से 30 सितंबर के दौरान सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस बार 934.8 मिमी हुई है यानी 7.8% ज्यादा। जबकि जून में बारिश की 11% कमी थी लेकिन उसके बाद लगातार ज्यादा बारिश होती रही।

जुलाई में 9%, अगस्त में 15.3% और सितंबर में 11.6% बारिश हुई। उत्तर पश्चिम के इलाके जिसमें राजस्थान और दिल्ली शामिल हैं, वहां जून और जुलाई में 32.6% और 14.6% की कमी थी लेकिन बाकी के दो महीने अगस्त व सितंबर में 30.1% और 29.2% ज्यादा बारिश हुई।

उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश की कमी बनी रही लेकिन आखिरी दो हफ्तों में हुई बारिश के चलते उसका कोटा पूरा हो गया। मध्य भारत अकेला क्षेत्र रहा, जहां जून में बाकी सभी महीनों से भारी बारिश हुई। जुलाई में 33%, अगस्त में 16.5% और सितंबर में 32.3% बारिश हुई।

अगस्त-सितंबर में बंगाल की खाड़ी में लगातार पांच कम दबाव के क्षेत्र बनने और फिर उसके पूर्वी तटों से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए लगातार सक्रिय रहने से मध्य भारत खूब भीगा और हिंद महासागर में सक्रियता से महाराष्ट्र-गुजरात भीगे।

अब आगे क्या? नवंबर के तीसरे हफ्ते से दस्तक देने लगेगी सर्दी मानसून के देशभर से विदा होने की सामान्य तिथि 15 अक्टूबर है। अब अगले एक से डेढ़ महीने दिन व रात के तापमान में अंतर और बढ़ जाएगाा। नवंबर के तीसरे हफ्ते से दिन में भी तापमान कम होना शुरू होगा, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

दिसंबर में पहाड़ों पर बर्फबारी की शुरुआत से मैदानों में भी ठंड दस्तक देगी। नवंबर के आखिरी तक ला-नीना पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ला-नीना में अक्सर ज्यादा ठंड रहती है।

बिहार के बगहा में मगरमच्छ घर में घुसा, राजस्थान में तापमान करीब 40 डिग्री; आज 11 राज्यों में बारिश का अलर्ट

देश में मानसून सीजन अब खत्म होने वाला है। दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों को छोड़कर किसी राज्यों में बारिश का अलर्ट नहीं है। नेपाल में भारी बारिश के चलते बिहार के 16 जिलों में बाढ़ आ गई है। करीब 10 लाख आबादी प्रभावित हैं।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में एयरफोर्स ने मोर्चा संभाल लिया है। वायुसेना हेलिकॉप्टर से लोगों तक फूड पैकेट्स पहुंचाए जा रहे हैं। पश्चिम चंपारण के बगहा में मंगलवार रात टाइगर रिजर्व के पास रिहायशी इलाके में एक मगरमच्छ घर में घुस गया। वन विभाग की टीम ने कई घंटों की मशक्कत के बाद मगरमच्छ का रेस्क्यू किया।

दूसरी तरफ, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बारिश का दौर खत्म हो गया है। राजस्थान के कई जिलों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। मंगलवार को गंगानगर, फलोदी में सबसे ज्यादा 39.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को अधिकतम तापमान 37.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। रायपुर में दिन का तापमान 35.2 डिग्री रहा जो सामान्य से 2.8 डिग्री ज्यादा था। मध्य प्रदेश का खजुराहो 36.8 डिग्री तापमान के साथ राज्य में सबसे गर्म रहा। मौसम विभाग ने बुधवार को 11 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

देश में बाढ़-लैंडस्लाइड की घटनाओं में इस साल 1500 लोगों की मौत मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मानसून के इस सीजन (1 जून से 30 सितंबर) में सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हुई। दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के लॉन्ग पीरियड सेशन (LPA) में हुई बारिश का एवरेज 108% रहा। इस दौरान 934.8 mm बारिश दर्ज की गई। ये साल 2020 के बाद सबसे अधिक है।

मौसम विभाग ने 106 % बारिश के पूर्वानुमान जताया था, जो सरपास हो गया। एक्चुअल बारिश और सामान्य बारिश दोनों में 4% का अंतर रहा। इस साल मानसून ने चार महीने से ज्यादा बरसा।

विभाग के मुताबिक, मानसून के मौजूद सीजन में बारिश से जुड़ी घटनाओं में पूरे देश में 1492 लोगों की मौत हुई। बाढ़-बारिश से घटनाओं में 895 लोगों की जान गई, जबकि 597 मौतें आंधी-बिजली गिरने से हुईं।

मौजूदा मानसून सीजन में 525 भारी वर्षा की घटनाएं हुईं। बीते 5 साल में ये सबसे ज्यादा रहीं। इस दौरान 115.6 mm और 204.5 mm के बीच बारिश हुई। बहुत भारी बारिश की घटनाएं 96 रहीं, इस दौरान 204.5 mm से ज्यादा बारिश हुई।

MP में 18% ज्यादा मानसूनी बारिश, बिहार में 19% कम देश में 1 जून से 30 सितंबर के दौरान सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस बार 934.8 मिमी हुई है यानी 7.8% ज्यादा। जबकि जून में बारिश की 11% कमी थी लेकिन उसके बाद लगातार ज्यादा बारिश होती रही।

जुलाई में 9%, अगस्त में 15.3% और सितंबर में 11.6% बारिश हुई। उत्तर पश्चिम के इलाके जिसमें राजस्थान और दिल्ली शामिल हैं, वहां जून और जुलाई में 32.6% और 14.6% की कमी थी लेकिन बाकी के दो महीने अगस्त व सितंबर में 30.1% और 29.2% ज्यादा बारिश हुई।

उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश की कमी बनी रही लेकिन आखिरी दो हफ्तों में हुई बारिश के चलते उसका कोटा पूरा हो गया। मध्य भारत अकेला क्षेत्र रहा, जहां जून में बाकी सभी महीनों से भारी बारिश हुई। जुलाई में 33%, अगस्त में 16.5% और सितंबर में 32.3% बारिश हुई।

अगस्त-सितंबर में बंगाल की खाड़ी में लगातार पांच कम दबाव के क्षेत्र बनने और फिर उसके पूर्वी तटों से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए लगातार सक्रिय रहने से मध्य भारत खूब भीगा और हिंद महासागर में सक्रियता से महाराष्ट्र-गुजरात भीगे।

अब आगे क्या? नवंबर के तीसरे हफ्ते से दस्तक देने लगेगी सर्दी मानसून के देशभर से विदा होने की सामान्य तिथि 15 अक्टूबर है। अब अगले एक से डेढ़ महीने दिन व रात के तापमान में अंतर और बढ़ जाएगाा। नवंबर के तीसरे हफ्ते से दिन में भी तापमान कम होना शुरू होगा, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

दिसंबर में पहाड़ों पर बर्फबारी की शुरुआत से मैदानों में भी ठंड दस्तक देगी। नवंबर के आखिरी तक ला-नीना पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ला-नीना में अक्सर ज्यादा ठंड रहती है।

रतलाम की प्रसिद्ध श्री कालिका माता के दुनिया भर में हो सकेंगे दर्शन, क्यूआर कोड और मोबाइल एप के माध्यम से कर सकेंगे आराधना ।

देश-विदेश में रहने वाले भक्तों को नवरात्रि में रतलाम की प्रसिद्ध श्री कालिका माता के ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था भी की गई है। दर्शन क्यूआर कोड स्कैन कर और वाट्सएप मैसेज से रिक्वेस्ट भेज कर कर सकते हैं।

रतलाम । स्वर्ण नगरी रतलाम में विराजित श्री कालिका माता के दर्शन भक्त दुनिया में कहीं से भी कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने मोबाइल फोन से सिर्फ एक क्यूआर (QR) कोड स्कैन करना होगा। इसके अलावा भक्त वाड्सएप के माध्यम से भी शक्ति की आराधना कर सकेंगे। शक्ति आराधना के पर्व नवरात्रि पर देश-विदेश में रहने वाले श्री कालिका माता के भक्तों को उनके दर्शनलाभ करने के लिए शहर के वाघेला परिवार ने उल्लेखनीय पहल की है। परिवार के दिनेश वाघेला ने बताया कि एक व्हाट्सएप ग्रुप और एक ऐप बनाया गया है। इसके अलावा एक क्यूआर कोड भी तैयार किया गया है। इनके माध्यम से नवरात्रि के दौरान भक्त दुनिया में कहीं से भी माता के दर्शन कर सकेंगे।

करना होगा बारकोड स्कैन

इसके लिए उन्हें केवल एक बारकोड स्कैन करने करना होगा।इससे वे नवरात्रि वाले वाट्सएप ग्रुप से जुड़ जाएंगे। इस तरह वे पूरे नौ दिन तक रोज रतलाम में विराजित श्री कालिका माता के ब्रह्म मुहूर्त के, माता के चरणों के दर्शन व इस दौरान रोज सुबह होने वाली आरती देख सकेंगे। प्रतिदिन का श्रृंगार, मंदिर की साज-सज्जा, गरबा पंडाल, बालिकाओं का गरबा आदि भी देखाजा सकेगा।

इस नंबर पर रिक्वेस्ट भी भेज सकते हैं

समाजसेवी दिनेश वाघेला ने बताया कि भक्तों को मोबाइल नंबर 9425104905 पर व्हाट्सएप द्वारा ‘जय माताजी’ लिखकर रिक्वेस्ट भेजना होगी। ऐसा करते ही वे नवरात्रि उत्सव ग्रुप से जुड़ जाएंगे। श्री कालिका माता के ऑनलाइन दर्शन की यह सुविधा वाघेला परिवार द्वारा की गई है। परिवार ने सभी भक्तों से इस सुविधा के माध्यम से धर्मलाभ लेने की अपील की गई है।

आर्टिफिशियल फूलों से भी आएगी सुगंध

नवरात्रि के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष की तरह वाघेला परिवार द्वारा श्री कालिका माता मंदिर के गर्भ गृह की सुंदर सजावट भी की जा रही है। सजावट आर्टिफिशियल फूलों से की गई है जो प्रतिपदा से पूर्णिमा तिथि तक रहेगी। वाघेला ने बताया कि सजावट के उपयोग होने वाले आर्टिफिशियल फूलों पर रोज अलग-अलग खुशबू का स्प्रे भी किया जाए जिससे वे वहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुगंधित वातावरण मिलेगा। सप्तमी, अष्टमी व नवमी को मंदिर परिसर को असली ताजे फूलों से भी सजाया जाएगा।

ई खबर मीडिया के लिए यशवर्धन परिहार  की रिपोर्ट 

पंच ने जनसुनवाई में की शिकायत, संरपच एवं सचिव की मनमानी से गांव में नही हो रहे विकास कार्य

देवास। जिले की सोनकच्छ तहसील की ग्राम पंचायत धंधेडा में संरपच एवं सचिव की मनमानी के चलते विकास कार्य नही होने की शिकायत वहीं पंच विष्णु शिंदे ने कलेक्टर से जनसुनवाई में आवेदन देकर की है। पंच शिंदे ने शिकायत में बताया कि ग्राम पंचायत धंधेडा में सरपंच व मंत्री की मनमानी के कारण कोई विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। सरपंच और पंच को तीन साल होने को है, लेकिन गांव में कोई नया काम नही हो पाया है। अभी तक पुराना सरपंच का ही काम चल रहा है। ग्रामवासी जब सरपंच के पास समस्या लेकर जाते है तो सरपंच कहता है कि हमारे पास पैसे नही है। जो काम शुरू हुए है वो अधूरे पडेे हुए है। उनकी राशि भी निकल चुकी है। गांव में शांतिधाम के मरम्मत के लिए राशि मंजूर की गई थी। वह राशि भी निकल चुकी है और आधा-अधूरा काम हुआ है। ग्राम पंचायत में इलेक्ट्रॉनिक सामान रखा है वहां भी धूल खा रहा है। कंप्यूटर, प्रिंटर मशीन भी काम नही कर रही है। पंचायत का कुछ शासकीय कार्य होता है तो वह निजी एमपी ऑनलाइन दुकान पर करना पड़ता है। सरकार लाखों रुपए खर्च करती है। ग्राम पंचायत का पूरा काम पंचायत में ही होना चाहिए, लेकिन शासकीय कार्य भी निजी दुकानों पर हो रहा है। पूर्व में सरपंच और सचिव की शिकायत जनपद पंचायत सीईओ सोनकच्छ को भी की गई, लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। कोई अधिकारी भी पंचायत में ऑडिट करने भी नहीं आता है। ग्राम पंचायत में 19 वार्ड है। कुछ महिला पंच इसमें अनपढ़ भी है। उनको कुछ भी पता नही, सरपंच मंत्री ने जो कर दिया उन पर वह उनका अंगूठा लगा देते हैं। ग्राम पंचायत में पानी की बहुत बड़ी समस्या है। एक तालाब भी ग्राम में है जो बनने के बाद से आज तक मरम्मत नही हो पाया है। जिसमें हर कभी अवैध उत्खनन होता रहता है। कलेक्टर के आदेशों की सरपंच व सचिव द्वारा खुलेआज अव्हेलना की जा रही है। शिकायतकर्ता ने बताया कि कुछ दिन पूर्व मैंने संबल योजना का आवेदन किया था। वह भी मंत्री की लापरवाही के कारण स्वीकृत नही हुआ। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए गांव व्याप्त समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाए।

ई खबर मीडिया के लिए देवास  से विष्णु शिंदे  की रिपोर्ट 

 

पुराने CM से मिलने का है मन तो क्या आपको पता है नया एड्रेस? जानिए कहां श‍िफ्ट होने जा रहे हैं अरव‍िंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल का आशियाना बदलने वाला है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. लिहाजा उन्हें मुख्यमंत्री आलवास अब खाली करना होगा. अरविंद केजरीवाल ने पितृपक्ष के बाद सरकारी आवास और सुविधाएं छोड़ने का ऐलान किया है. अरविंद केजरीवाल ने नया घर फाइनल कर लिया है. उम्मीद की जा रही है कि एक-दो दिन में वह अपने नए घर में शिफ्ट हो जाएंगे. अरविंद केजरीवाल का नया ठिकाना फिरोजशाह रोड पर होगा. हालांकि, बंगले को लेकर अब भी सस्पेंस है.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल कई बार यह बता चुके हैं कि उन्होंने अपने लिए दिल्ली में अब तक कोई मकान नहीं बनाया है. सूत्रों के मुताबिक, अरविन्द केजरीवाल ने अपने लिए घर तय कर लिया है. अरविंद केजरीवाल ऐसा मकान चाहते हैं, जिस पर कोई विवाद ना हो. साथ ही उनकी विधानसभा नई दिल्ली इलाके में ही घर हो ताकि वो लोगों से जुड़े रह सकें. इसका मतलब है कि वह नई दिल्ली विधानसभा में ही रहेंगे.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सयोंजक अरविंद केजरीवाल के रहने के लिए अब तक दो घरों पर विचार हो रहा है. इन दोनों घरों का पता लुटियंस दिल्ली के फिरोजशाह रोड का है. यहां बताना जरूरी है कि फिरोजशाह रोड पर आम आदमी पार्टी के दो राज्यसभा सांसदों का भी घर है. अब जानते हैं कि आखिर अरविंद केजरीवाल फिरोजशाह रोड पर कहां रह सकते हैं.
पहला पता:
बंगला नंबर 5, फिरोजशाह रोड: पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल को यह सरकारी घर मिला हुआ है. एनडी गुप्ता की तरह ही अशोक मित्तल भी अपने इस सरकारी आवास में नहीं रहते हैं. यहां अब तक अशोक मित्तल के कर्मचारी ही इस सरकारी बंगले में रहते हैं. अरविंद केजरीवाल इस घर पर भी विचार कर रहे हैं.
दूसरा पता:
बंगला नंबर 10, फिरोजशाह रोड: दिल्ली से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता को यह सरकारी आवास आवंटित किया गया है. एनडी गुप्ता अपने परिवार के साथ अपने निजी आवास में रहते हैं जबकि उनके सरकारी घर में उनके कार्यालय चलता है.

अरविंद केजरीवाल बंगला नंबर 5 या बंगला नंबर 10 में रहेंगे, अभी तक यह फाइनल नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने फाइनल कर लिया है, मगर डिटेल सामने नहीं आई है. नवरात्र शुरू होते ही वह नए घर में शिफ्ट हो जाएंगे. अरविंद केजरीवाल बीते दिनों जमानत पर जेल से बाहर आए हैं. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया.

पुराने CM से मिलने का है मन तो क्या आपको पता है नया एड्रेस? जानिए कहां श‍िफ्ट होने जा रहे हैं अरव‍िंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल का आशियाना बदलने वाला है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. लिहाजा उन्हें मुख्यमंत्री आलवास अब खाली करना होगा. अरविंद केजरीवाल ने पितृपक्ष के बाद सरकारी आवास और सुविधाएं छोड़ने का ऐलान किया है. अरविंद केजरीवाल ने नया घर फाइनल कर लिया है. उम्मीद की जा रही है कि एक-दो दिन में वह अपने नए घर में शिफ्ट हो जाएंगे. अरविंद केजरीवाल का नया ठिकाना फिरोजशाह रोड पर होगा. हालांकि, बंगले को लेकर अब भी सस्पेंस है.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल कई बार यह बता चुके हैं कि उन्होंने अपने लिए दिल्ली में अब तक कोई मकान नहीं बनाया है. सूत्रों के मुताबिक, अरविन्द केजरीवाल ने अपने लिए घर तय कर लिया है. अरविंद केजरीवाल ऐसा मकान चाहते हैं, जिस पर कोई विवाद ना हो. साथ ही उनकी विधानसभा नई दिल्ली इलाके में ही घर हो ताकि वो लोगों से जुड़े रह सकें. इसका मतलब है कि वह नई दिल्ली विधानसभा में ही रहेंगे.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सयोंजक अरविंद केजरीवाल के रहने के लिए अब तक दो घरों पर विचार हो रहा है. इन दोनों घरों का पता लुटियंस दिल्ली के फिरोजशाह रोड का है. यहां बताना जरूरी है कि फिरोजशाह रोड पर आम आदमी पार्टी के दो राज्यसभा सांसदों का भी घर है. अब जानते हैं कि आखिर अरविंद केजरीवाल फिरोजशाह रोड पर कहां रह सकते हैं.
पहला पता:
बंगला नंबर 5, फिरोजशाह रोड: पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल को यह सरकारी घर मिला हुआ है. एनडी गुप्ता की तरह ही अशोक मित्तल भी अपने इस सरकारी आवास में नहीं रहते हैं. यहां अब तक अशोक मित्तल के कर्मचारी ही इस सरकारी बंगले में रहते हैं. अरविंद केजरीवाल इस घर पर भी विचार कर रहे हैं.
दूसरा पता:
बंगला नंबर 10, फिरोजशाह रोड: दिल्ली से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता को यह सरकारी आवास आवंटित किया गया है. एनडी गुप्ता अपने परिवार के साथ अपने निजी आवास में रहते हैं जबकि उनके सरकारी घर में उनके कार्यालय चलता है.

अरविंद केजरीवाल बंगला नंबर 5 या बंगला नंबर 10 में रहेंगे, अभी तक यह फाइनल नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने फाइनल कर लिया है, मगर डिटेल सामने नहीं आई है. नवरात्र शुरू होते ही वह नए घर में शिफ्ट हो जाएंगे. अरविंद केजरीवाल बीते दिनों जमानत पर जेल से बाहर आए हैं. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया.

क्या गांधीजी की भी थी कोई लव स्टोरी, कौन थीं सरला चौधरानी, कैसे जिंदगी में आईं, फिर बन गईं संन्यासी

गांधीजी के जीवन में कई महिलाएं आईं. कस्तूरबा से उन्होंंने 12 साल की उम्र में शादी की. कुछ उनकी अनुगामी थीं. कुछ सहयोगी. कुछ को उन्होंने बेटी माना लेकिन एक और थी, जिसे गांधी जी अपना दिल दे बैठे थे. वो उनकी जिंदगी में आईं. फिर चली गईं. बाद में संन्यासी बन गईं. इस पर काफी कुछ लिखा भी जा चुका है.

ये भी कहा जाता है कि ये गांधी जी के लंबे राजनीतिक जीवन का फिसलन था, जिससे तमाम तरह की बातें फैलनी शुरू हो गईं थीं. घर टूटने की कगार पर आ गया. सम्मान दाव पर लगने की नौबत आ गई. आखिरकार गांधीजी ने अपने पैर वहां से वापस खींच लिए.

गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में अपने आंदोलनों के कारण जानी पहचानी शख्सियत बन चुके थे. वर्ष 1901 में वो दक्षिण अफ्रीका से भारत, कांग्रेस के अधिवेशन में हिस्सा लेने आए. ये कह सकते हैं कि भारत में अपनी राजनीतिक ज़मीन को टटोलने के लिए आए. कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने एक युवती को कांग्रेस को समर्पित एक गाना लिखकर गाते हुए सुना. तीखे नाक नक्शों वाली प्रखर मेधा की बंगाली सुंदरी. ऐसी महिला, जो अलग थी. गांधीजी के दिमाग पर ज़रूर ही वो युवती कहीं दर्ज़ हो गई.

जब सरला देवी से दोबारा मिले
गांधी जी दोबारा जब 1915 में भारत लौटे तो ये सोचकर लौटे कि अब वो स्थायी तौर पर अपने पराधीन देश को स्वाधीन बनाने की लड़ाई लड़ेंगे. अफ्रीका में किए गए प्रयोगों को भारत में आजमाएंगे. 1917 तक गांधी जी की पहचान देश में बन चुके थी. दो साल बाद उनके असहयोग आंदोलन को पूरे देश में अभूतपूर्व समर्थन मिला
इस बीच गांधीजी को देशयात्रा के दौरान उस बंगाली महिला से फिर मिलने का अवसर मिला. लेकिन अक्टूबर 1919 जब वो सरला देवी चौधरानी के लाहौर स्थित घर में रुके तो उनके प्यार में पड़ गए. सरला तब 47 साल की थीं और गांधी जी 50 के.

सरला देवी नोबेल पुरस्कार प्राप्त रविंद्र नाथ टैगोर की बड़ी बहन की बेटी थीं. लाहौर में जब गांधी जी उनके घर ठहरे तो उनके पति चौधरी रामभुज दत्त आज़ादी आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण जेल में थे.

गांधीजी की शादी टूटने की नौबत आ गई थी
‘कस्तूरबा ए सीक्रेट डायरी’ की लेखिका और देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रहे रामकृष्ण डालमिया की बेटी नीलिमा डालमिया कहती हैं, ‘गांधीजी को वाकई सरला देवी से प्यार हो गया था. इस पर कस्तूरबा ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी. ऐसा लगने लगा था कि गांधी जी की शादी टूट न जाए. इससे उनके घर में भूचाल आ गया. बेटों ने ज़बरदस्त विरोध किया. कुल मिलाकर ये मामला बड़ा स्कैंडल बन गया. बस गांधीजी ने जल्दी ही खुद को इससे किनारे कर लिया.’

पोते ने पहली बार किताब में ज़िक्र किया
लाहौर में जिस दौरान गांधी जी सरला के घर में ठहरे, तब सार्वजनिक तौर पर भी लोगों ने उनकी करीबी का अहसास किया. गांधीजी ने अपने भाषण में उनका ज़िक्र किया. गांधीजी के पोते राजमोहन गांधी ने जब तक महात्मा गांधी की बॉयोग्राफी नहीं लिखी थी, तब तक ये प्रेम प्रसंग केवल सुनी सुनाई बातों और अटकलों के रूप में मौजूद था.

वह पहले शख्स थे, जिन्होंने अपनी किताब के माध्यम से इसे सबके सामने ला दिया. राजमोहन ने तब कहा, ” मुझे लगता है कि अगर ईमानदारी से गांधी जी की बॉयोग्राफी लिख रहा हूं तो उनका ये पहलू भी सामने आना चाहिए. बचपन में वो अपने अभिभावकों से लगातार ये बात सुनते थे कि किस तरह अधेड़ उम्र में भी गांधीजी फिसल गए थे.”

तुम मेरे अंदर हो
गांधी जी ने लाहौर से लौटकर सरला देवी को पत्र लिखा, “तुम मेरे अंदर पूरी शिद्दत से हो, तुमने अपने महान समर्पण के पुरस्कार के बारे में पूछा है, ये तो अपने आप खुद पुरस्कार है.” दक्षिण अफ्रीका के अपने एक मित्र को पत्र लिखा, “सरला का सानिध्य बहुत आत्मीय और अच्छा था, उसने मेरा बहुत ख्याल रखा.” इस प्यार में पड़ने के कुछ महीनों बाद वो सोचने लगे थे कि उनके रिश्ते आध्यात्मिक शादी की तरह हैं.

सरला और गांधी के पत्र
गांधीजी ने अपने एक अन्य पत्र में सरलादेवी को लिखा, वो अक्सर उनके सपने देखते हैं. उन्होंने सरलादेवी के पति को बधाई दी कि सरला महान शक्ति या देवी हैं. अगस्त 1920 में गांधीजी के सचिव महादेव देसाई ने रिकॉर्ड किया कि सरलादेवी के पांच-छह पत्र लगातार मिले. एक बार तो सरलादेवी ने गांधीजी को छह दिनों में 12 पत्र लिख डाले. उनके लेख गांधीजी ने यंगइंडिया में लगातार छापे. नवजीवन के पहले पेज पर उनकी कविताएं प्रकाशित कीं. वो उनकी कविताओं की तारीफ करते थे.

एक साल से ऊपर चला ये रिश्ता
1920 में जब घर में सरलादेवी को लेकर हालात दुरूह होने लगे तो उदास गांधीजी ने उनसे कहा कि उनके रिश्ते ख़त्म हो जाने चाहिए, क्योंकि मुश्किलें बढ़ रही हैं. दोनों ने अपनी आत्मकथाओं में अपनी निकटताओं का ज़िक्र नहीं किया. बस एक जगह सरला देवी ने ये ज़रूर लिखा, “जब वो राजनीतिक तौर पर मुश्किल में थी तो महात्मा गांधी ने मुझसे कहा, तुम्हारी हंसी राष्ट्रीय संपत्ति है, हमेशा हंसती रहो. ये रिश्ता अक्टूबर 1919 से दिसंबर 1920 तक चला.” कुछ समय पहले जानीमानी महिला साहित्यकार अलका सरावगी ने भी इस पर एक किताब “सरला देवी चौधरानी और गाँधी : बारह अध्याय” लिखी.

महिला साहित्यकार अलका सरावगी की किताब “सरला देवी चौधरानी और गाँधी : बारह अध्याय”
संबंध करीबी भरे थे
‘महात्मा गांधीः ब्रह्मचर्य के प्रयोग’ के लेखक और पत्रकार दयाशंकर शुक्ल सागर कहते हैं, ‘इसमें कोई शक नहीं कि दोनों के संबंध बहुत करीबी भरे थे. अपने मित्र केलनबैचर को लिखे पत्र में उन्होंने सरलादेवी और कस्तूरबा की तुलना कर डाली थी. इस पत्र से ही लगता है कि कस्तूरबा के मुकाबले जब उन्हें सरलादेवी का सानिध्य मिला और वो उनके करीब आए.”

सरला का मोहक व्यक्तित्व
सरलादेवी का व्यक्तित्व मोहक और भव्य था. उनके लंबे काले बाल लहराते होते थे. गले में मालाएं होती थीं और वो सिल्क की शानदार साड़ियां पहनती थीं. नाक नक्श तीखे थे. आंखों में गहराई दिखती थी. बंगाली साहित्य में सरलादेवी पर अलग से कई किताबें लिखी गई हैं वो समय से बहुत आगे और असाधारण महिला थीं.

उनके पिता कांग्रेस के शुरुआती असरदार नेताओं में थे. कांग्रेस के संस्थापक एओ ह्यूम से उनकी करीबी थी. पिता जानकीनाथ घोषाल मजिस्ट्रेट थे और लंबे समय तक लंदन में रहे. मां स्वर्णकुमारी बांग्ला साहित्य और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थीं.

प्रखर महिला
सरला देवी अपने मामा रविंद्रनाथ टैगोर के साथ कोलकाता के टैगोर हाउस में रहीं, लिहाज़ा उन पर अपने ननिहाल का प्रभाव ज्यादा था. इस परिवार ने आज़ादी से पहले देश को कई प्रखर दिमाग वाली हस्तियां दीं. ‘गांधीः वायस ऑफ न्यू एज रिवोल्यूशन’ में लेखक मार्टिन ग्रीन लिखते हैं, ‘वो पढ़ाई में तेज़ थीं. कई विदेशी भाषाओं की जानकार. वो संगीतज्ञ थीं और कवियित्री भी. वो बंगाल के सशस्त्र आज़ादी के आंदोलन में शामिल होने वाली पहली महिला थीं. वो पुरुषों के साथ सोसायटी की मीटिंग में हिस्सा लेती थीं. कुश्ती और बॉक्सिंग के मैच आयोजित कराती थीं.’

बाद में संन्यासिन बन गईं
विवेकानंद उन्हें पसंद करते थे. वो अक्सर सिस्टर निवेदिता से उनकी तारीफ करते थे. वो जब वर्ल्ड कांग्रेस में शिकागो गए तो सरला देवी को भी एक युवा लड़की के रूप में अपने साथ ले जाना चाहते थे ताकि दुनिया भारत के उभरते हुए युवाओं को देख सके. लेकिन तब उनके पिता ने इस यात्रा की अनुमति नहीं दी. ‘माई एक्सपेरिमेंट विद गांधी’ में लेखक प्रमोद कपूर ने सरला देवी के बाद के जीवन के बारे में लिखा, ‘1923 में उनके पति का देहांत हो गया. इसके बाद वो लाहौर से कोलकाता चली गईं. 1935 में वो संन्यासिन बनकर हिमालय की ओर चली गईं. 1945 में 73 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. बाद में सरला देवी के बेटे दीपक का विवाह मगनलाल गांधी की बेटी राधा (गांधीजी की पोती) के साथ हुआ.’

सरला ने महिलाओं के मताधिकार की लड़ाई भी लड़ी
द टेलीग्राफ में 28 जनवरी 2024 को प्रकाशित लेख म्यूज टू द महात्मा (Muse to the Mahatma) में प्रसून चौधरी ने लिखा, सरला देवी के लिए सक्रियता की शुरुआत काफ़ी पहले ही हो गई थी; वह अपने मूर्तिभंजक तरीकों के कारण टैगोर परिवार में थोड़ी अलग थीं. उन्होंने बंगाल में उग्र राष्ट्रवाद के लिए मंच तैयार किया और बाद में महिलाओं के मताधिकार के लिए लड़ाई लड़ी.

गांधीजी उनके व्यक्तित्व से चकित थे
गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने अपनी जीवनी मोहनदास: ए ट्रू स्टोरी ऑफ़ ए मैन, हिज पीपल एंड एन एम्पायर में लिखा है , “गांधी स्पष्ट रूप से उनके व्यक्तित्व से चकित थे और ऐसा लग रहा था कि वे कल्पना कर रहे थे कि ईश्वर चाहता है कि वे भारत को एक नए स्वरूप में ढालें… उन्होंने उनके पति की इस प्रशंसा को दोहराया कि वह एक ‘ महान शक्ति’ या देवी थीं.”

इतिहासकारों, जीवनीकारों और पत्रकारों ने दोनों के बीच के रिश्ते को व्यवस्थित रूप से गलत तरीके से पेश किया है, इसे एक निंदनीय मोड़ दिया. खासकर गांधी द्वारा अपने मित्र हरमन कैलेनबैक को लिखे गए पत्र में “आध्यात्मिक विवाह” वाक्यांश के इस्तेमाल के आधार पर. गांधीवादी विद्वान मार्टिन ग्रीन के “मनोविश्लेषण” ने यहां तक ​​सुझाव दिया कि गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा को तलाक देने के लिए तैयार थे ताकि वह सरला देवी से शादी कर सकें.

बाद में राजमोहन गांधी ने द टेलीग्राफ से एक बातचीत में स्पष्ट किया कि उनके दादा ने वास्तव में सरला देवी के साथ “एक गैर-भौतिक साझेदारी की कल्पना की थी” ताकि “भारत के लिए उनके सपनों को शीघ्र पूरा किया जा सके.”

वह हमेशा गांधीजी की हर बात से सहमत नहीं होती थीं
इस रिश्ते का सबसे निष्पक्ष विश्लेषण नारीवादी इतिहासकार गेराल्डिन फोर्ब्स ने अपनी किताब लॉस्ट लेटर्स एंड फेमिनिस्ट हिस्ट्रीज़: द पॉलिटिकल फ्रेंडशिप ऑफ़ मोहनदास के. गांधी एंड सरला देवी चौधरानी में किया. उन्होंने गांधी के 79 पत्रों और सरला देवी के चार पत्रों के ज़रिए अपने तर्क पेश किए, जिन्हें सरला देवी के बेटे दीपक ने भी साझा किया.

फोर्ब्स कहते हैं, “सरला देवी वह आज्ञाकारी शिष्य नहीं थीं, जिसे गांधी चाहते थे. उन्हें लगता था कि उनमें भारत की महिला नेता बनने की क्षमता है, वह चाहते थे कि वह एक कार्यक्रम पूरा करें – जिसे उन्होंने खुद तय किया था – ताकि वह नेता बन सकें.” उन्होंने कई चीजें कीं, जो गांधी चाहते थे, जैसे खादी पहनना. हालांकि वह अक्सर गांधी के आदेशों की अवहेलना करती थीं. विभिन्न मुद्दों पर असहमत होती थीं.”

प्रसून चौधरी अपने लेख में कहते हैं कि दूसरे शब्दों में कहें तो गांधी सरला देवी को एक स्वतंत्र महिला के रूप में स्वीकार करने में विफल रहे। यही कारण था कि उनकी दोस्ती एक साल में ही खत्म हो गई. गांधी ने स्वीकार किया कि वह खुद “उस संगति के लायक नहीं थे”.

क्या गांधीजी की भी थी कोई लव स्टोरी, कौन थीं सरला चौधरानी, कैसे जिंदगी में आईं, फिर बन गईं संन्यासी

गांधीजी के जीवन में कई महिलाएं आईं. कस्तूरबा से उन्होंंने 12 साल की उम्र में शादी की. कुछ उनकी अनुगामी थीं. कुछ सहयोगी. कुछ को उन्होंने बेटी माना लेकिन एक और थी, जिसे गांधी जी अपना दिल दे बैठे थे. वो उनकी जिंदगी में आईं. फिर चली गईं. बाद में संन्यासी बन गईं. इस पर काफी कुछ लिखा भी जा चुका है.

ये भी कहा जाता है कि ये गांधी जी के लंबे राजनीतिक जीवन का फिसलन था, जिससे तमाम तरह की बातें फैलनी शुरू हो गईं थीं. घर टूटने की कगार पर आ गया. सम्मान दाव पर लगने की नौबत आ गई. आखिरकार गांधीजी ने अपने पैर वहां से वापस खींच लिए.

गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में अपने आंदोलनों के कारण जानी पहचानी शख्सियत बन चुके थे. वर्ष 1901 में वो दक्षिण अफ्रीका से भारत, कांग्रेस के अधिवेशन में हिस्सा लेने आए. ये कह सकते हैं कि भारत में अपनी राजनीतिक ज़मीन को टटोलने के लिए आए. कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने एक युवती को कांग्रेस को समर्पित एक गाना लिखकर गाते हुए सुना. तीखे नाक नक्शों वाली प्रखर मेधा की बंगाली सुंदरी. ऐसी महिला, जो अलग थी. गांधीजी के दिमाग पर ज़रूर ही वो युवती कहीं दर्ज़ हो गई.

जब सरला देवी से दोबारा मिले
गांधी जी दोबारा जब 1915 में भारत लौटे तो ये सोचकर लौटे कि अब वो स्थायी तौर पर अपने पराधीन देश को स्वाधीन बनाने की लड़ाई लड़ेंगे. अफ्रीका में किए गए प्रयोगों को भारत में आजमाएंगे. 1917 तक गांधी जी की पहचान देश में बन चुके थी. दो साल बाद उनके असहयोग आंदोलन को पूरे देश में अभूतपूर्व समर्थन मिला
इस बीच गांधीजी को देशयात्रा के दौरान उस बंगाली महिला से फिर मिलने का अवसर मिला. लेकिन अक्टूबर 1919 जब वो सरला देवी चौधरानी के लाहौर स्थित घर में रुके तो उनके प्यार में पड़ गए. सरला तब 47 साल की थीं और गांधी जी 50 के.

सरला देवी नोबेल पुरस्कार प्राप्त रविंद्र नाथ टैगोर की बड़ी बहन की बेटी थीं. लाहौर में जब गांधी जी उनके घर ठहरे तो उनके पति चौधरी रामभुज दत्त आज़ादी आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण जेल में थे.

गांधीजी की शादी टूटने की नौबत आ गई थी
‘कस्तूरबा ए सीक्रेट डायरी’ की लेखिका और देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रहे रामकृष्ण डालमिया की बेटी नीलिमा डालमिया कहती हैं, ‘गांधीजी को वाकई सरला देवी से प्यार हो गया था. इस पर कस्तूरबा ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी. ऐसा लगने लगा था कि गांधी जी की शादी टूट न जाए. इससे उनके घर में भूचाल आ गया. बेटों ने ज़बरदस्त विरोध किया. कुल मिलाकर ये मामला बड़ा स्कैंडल बन गया. बस गांधीजी ने जल्दी ही खुद को इससे किनारे कर लिया.’

पोते ने पहली बार किताब में ज़िक्र किया
लाहौर में जिस दौरान गांधी जी सरला के घर में ठहरे, तब सार्वजनिक तौर पर भी लोगों ने उनकी करीबी का अहसास किया. गांधीजी ने अपने भाषण में उनका ज़िक्र किया. गांधीजी के पोते राजमोहन गांधी ने जब तक महात्मा गांधी की बॉयोग्राफी नहीं लिखी थी, तब तक ये प्रेम प्रसंग केवल सुनी सुनाई बातों और अटकलों के रूप में मौजूद था.

वह पहले शख्स थे, जिन्होंने अपनी किताब के माध्यम से इसे सबके सामने ला दिया. राजमोहन ने तब कहा, ” मुझे लगता है कि अगर ईमानदारी से गांधी जी की बॉयोग्राफी लिख रहा हूं तो उनका ये पहलू भी सामने आना चाहिए. बचपन में वो अपने अभिभावकों से लगातार ये बात सुनते थे कि किस तरह अधेड़ उम्र में भी गांधीजी फिसल गए थे.”

तुम मेरे अंदर हो
गांधी जी ने लाहौर से लौटकर सरला देवी को पत्र लिखा, “तुम मेरे अंदर पूरी शिद्दत से हो, तुमने अपने महान समर्पण के पुरस्कार के बारे में पूछा है, ये तो अपने आप खुद पुरस्कार है.” दक्षिण अफ्रीका के अपने एक मित्र को पत्र लिखा, “सरला का सानिध्य बहुत आत्मीय और अच्छा था, उसने मेरा बहुत ख्याल रखा.” इस प्यार में पड़ने के कुछ महीनों बाद वो सोचने लगे थे कि उनके रिश्ते आध्यात्मिक शादी की तरह हैं.

सरला और गांधी के पत्र
गांधीजी ने अपने एक अन्य पत्र में सरलादेवी को लिखा, वो अक्सर उनके सपने देखते हैं. उन्होंने सरलादेवी के पति को बधाई दी कि सरला महान शक्ति या देवी हैं. अगस्त 1920 में गांधीजी के सचिव महादेव देसाई ने रिकॉर्ड किया कि सरलादेवी के पांच-छह पत्र लगातार मिले. एक बार तो सरलादेवी ने गांधीजी को छह दिनों में 12 पत्र लिख डाले. उनके लेख गांधीजी ने यंगइंडिया में लगातार छापे. नवजीवन के पहले पेज पर उनकी कविताएं प्रकाशित कीं. वो उनकी कविताओं की तारीफ करते थे.

एक साल से ऊपर चला ये रिश्ता
1920 में जब घर में सरलादेवी को लेकर हालात दुरूह होने लगे तो उदास गांधीजी ने उनसे कहा कि उनके रिश्ते ख़त्म हो जाने चाहिए, क्योंकि मुश्किलें बढ़ रही हैं. दोनों ने अपनी आत्मकथाओं में अपनी निकटताओं का ज़िक्र नहीं किया. बस एक जगह सरला देवी ने ये ज़रूर लिखा, “जब वो राजनीतिक तौर पर मुश्किल में थी तो महात्मा गांधी ने मुझसे कहा, तुम्हारी हंसी राष्ट्रीय संपत्ति है, हमेशा हंसती रहो. ये रिश्ता अक्टूबर 1919 से दिसंबर 1920 तक चला.” कुछ समय पहले जानीमानी महिला साहित्यकार अलका सरावगी ने भी इस पर एक किताब “सरला देवी चौधरानी और गाँधी : बारह अध्याय” लिखी.

महिला साहित्यकार अलका सरावगी की किताब “सरला देवी चौधरानी और गाँधी : बारह अध्याय”
संबंध करीबी भरे थे
‘महात्मा गांधीः ब्रह्मचर्य के प्रयोग’ के लेखक और पत्रकार दयाशंकर शुक्ल सागर कहते हैं, ‘इसमें कोई शक नहीं कि दोनों के संबंध बहुत करीबी भरे थे. अपने मित्र केलनबैचर को लिखे पत्र में उन्होंने सरलादेवी और कस्तूरबा की तुलना कर डाली थी. इस पत्र से ही लगता है कि कस्तूरबा के मुकाबले जब उन्हें सरलादेवी का सानिध्य मिला और वो उनके करीब आए.”

सरला का मोहक व्यक्तित्व
सरलादेवी का व्यक्तित्व मोहक और भव्य था. उनके लंबे काले बाल लहराते होते थे. गले में मालाएं होती थीं और वो सिल्क की शानदार साड़ियां पहनती थीं. नाक नक्श तीखे थे. आंखों में गहराई दिखती थी. बंगाली साहित्य में सरलादेवी पर अलग से कई किताबें लिखी गई हैं वो समय से बहुत आगे और असाधारण महिला थीं.

उनके पिता कांग्रेस के शुरुआती असरदार नेताओं में थे. कांग्रेस के संस्थापक एओ ह्यूम से उनकी करीबी थी. पिता जानकीनाथ घोषाल मजिस्ट्रेट थे और लंबे समय तक लंदन में रहे. मां स्वर्णकुमारी बांग्ला साहित्य और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थीं.

प्रखर महिला
सरला देवी अपने मामा रविंद्रनाथ टैगोर के साथ कोलकाता के टैगोर हाउस में रहीं, लिहाज़ा उन पर अपने ननिहाल का प्रभाव ज्यादा था. इस परिवार ने आज़ादी से पहले देश को कई प्रखर दिमाग वाली हस्तियां दीं. ‘गांधीः वायस ऑफ न्यू एज रिवोल्यूशन’ में लेखक मार्टिन ग्रीन लिखते हैं, ‘वो पढ़ाई में तेज़ थीं. कई विदेशी भाषाओं की जानकार. वो संगीतज्ञ थीं और कवियित्री भी. वो बंगाल के सशस्त्र आज़ादी के आंदोलन में शामिल होने वाली पहली महिला थीं. वो पुरुषों के साथ सोसायटी की मीटिंग में हिस्सा लेती थीं. कुश्ती और बॉक्सिंग के मैच आयोजित कराती थीं.’

बाद में संन्यासिन बन गईं
विवेकानंद उन्हें पसंद करते थे. वो अक्सर सिस्टर निवेदिता से उनकी तारीफ करते थे. वो जब वर्ल्ड कांग्रेस में शिकागो गए तो सरला देवी को भी एक युवा लड़की के रूप में अपने साथ ले जाना चाहते थे ताकि दुनिया भारत के उभरते हुए युवाओं को देख सके. लेकिन तब उनके पिता ने इस यात्रा की अनुमति नहीं दी. ‘माई एक्सपेरिमेंट विद गांधी’ में लेखक प्रमोद कपूर ने सरला देवी के बाद के जीवन के बारे में लिखा, ‘1923 में उनके पति का देहांत हो गया. इसके बाद वो लाहौर से कोलकाता चली गईं. 1935 में वो संन्यासिन बनकर हिमालय की ओर चली गईं. 1945 में 73 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. बाद में सरला देवी के बेटे दीपक का विवाह मगनलाल गांधी की बेटी राधा (गांधीजी की पोती) के साथ हुआ.’

सरला ने महिलाओं के मताधिकार की लड़ाई भी लड़ी
द टेलीग्राफ में 28 जनवरी 2024 को प्रकाशित लेख म्यूज टू द महात्मा (Muse to the Mahatma) में प्रसून चौधरी ने लिखा, सरला देवी के लिए सक्रियता की शुरुआत काफ़ी पहले ही हो गई थी; वह अपने मूर्तिभंजक तरीकों के कारण टैगोर परिवार में थोड़ी अलग थीं. उन्होंने बंगाल में उग्र राष्ट्रवाद के लिए मंच तैयार किया और बाद में महिलाओं के मताधिकार के लिए लड़ाई लड़ी.

गांधीजी उनके व्यक्तित्व से चकित थे
गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने अपनी जीवनी मोहनदास: ए ट्रू स्टोरी ऑफ़ ए मैन, हिज पीपल एंड एन एम्पायर में लिखा है , “गांधी स्पष्ट रूप से उनके व्यक्तित्व से चकित थे और ऐसा लग रहा था कि वे कल्पना कर रहे थे कि ईश्वर चाहता है कि वे भारत को एक नए स्वरूप में ढालें… उन्होंने उनके पति की इस प्रशंसा को दोहराया कि वह एक ‘ महान शक्ति’ या देवी थीं.”

इतिहासकारों, जीवनीकारों और पत्रकारों ने दोनों के बीच के रिश्ते को व्यवस्थित रूप से गलत तरीके से पेश किया है, इसे एक निंदनीय मोड़ दिया. खासकर गांधी द्वारा अपने मित्र हरमन कैलेनबैक को लिखे गए पत्र में “आध्यात्मिक विवाह” वाक्यांश के इस्तेमाल के आधार पर. गांधीवादी विद्वान मार्टिन ग्रीन के “मनोविश्लेषण” ने यहां तक ​​सुझाव दिया कि गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा को तलाक देने के लिए तैयार थे ताकि वह सरला देवी से शादी कर सकें.

बाद में राजमोहन गांधी ने द टेलीग्राफ से एक बातचीत में स्पष्ट किया कि उनके दादा ने वास्तव में सरला देवी के साथ “एक गैर-भौतिक साझेदारी की कल्पना की थी” ताकि “भारत के लिए उनके सपनों को शीघ्र पूरा किया जा सके.”

वह हमेशा गांधीजी की हर बात से सहमत नहीं होती थीं
इस रिश्ते का सबसे निष्पक्ष विश्लेषण नारीवादी इतिहासकार गेराल्डिन फोर्ब्स ने अपनी किताब लॉस्ट लेटर्स एंड फेमिनिस्ट हिस्ट्रीज़: द पॉलिटिकल फ्रेंडशिप ऑफ़ मोहनदास के. गांधी एंड सरला देवी चौधरानी में किया. उन्होंने गांधी के 79 पत्रों और सरला देवी के चार पत्रों के ज़रिए अपने तर्क पेश किए, जिन्हें सरला देवी के बेटे दीपक ने भी साझा किया.

फोर्ब्स कहते हैं, “सरला देवी वह आज्ञाकारी शिष्य नहीं थीं, जिसे गांधी चाहते थे. उन्हें लगता था कि उनमें भारत की महिला नेता बनने की क्षमता है, वह चाहते थे कि वह एक कार्यक्रम पूरा करें – जिसे उन्होंने खुद तय किया था – ताकि वह नेता बन सकें.” उन्होंने कई चीजें कीं, जो गांधी चाहते थे, जैसे खादी पहनना. हालांकि वह अक्सर गांधी के आदेशों की अवहेलना करती थीं. विभिन्न मुद्दों पर असहमत होती थीं.”

प्रसून चौधरी अपने लेख में कहते हैं कि दूसरे शब्दों में कहें तो गांधी सरला देवी को एक स्वतंत्र महिला के रूप में स्वीकार करने में विफल रहे। यही कारण था कि उनकी दोस्ती एक साल में ही खत्म हो गई. गांधी ने स्वीकार किया कि वह खुद “उस संगति के लायक नहीं थे”.

भोपाल में तेज धूप और उमस ने बढ़ाई परेशानी, जानें अगले 5 दिन कैसा रहेगा मौसम

भोपाल. राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में अक्टूबर के पहले दिन तेज धूप और उमस ने लोगों को काफी परेशान किया. बारिश के बाद भोपाल की सड़कों पर धूल के गुबार देखे जा रहे हैं. भोपाल के मुख्य मार्गों पर चल रहे निर्माण कार्यों के कारण भी लोगों को धूल-मिट्टी का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले, रविवार को शहर के कैचमेंट एरिया में हुई बारिश के बाद सोमवार सुबह भदभदा और कलियासोत डैम के एक-एक गेट खोले गए थे.

यह उल्लेखनीय है कि इस मानसून सीजन में भोपाल में सामान्य से लगभग 38% अधिक बारिश दर्ज की गई है. हालांकि, अब धीरे-धीरे मानसून की विदाई शुरू हो रही है. मौसम वैज्ञानिक अभिजीत चक्रवर्ती के अनुसार, प्रदेश में अभी कोई स्ट्रॉन्ग सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिसके चलते अगले 5 दिनों तक प्रदेश में कहीं भी भारी बारिश की संभावना नहीं है. मंगलवार को प्रदेश में तेज धूप के कारण तापमान में भी वृद्धि देखी गई.

भोपाल में पारा 34 डिग्री के पार
मंगलवार को राजधानी भोपाल में तेज धूप के कारण लोगों को उमस का सामना करना पड़ा. यहां तापमान 34.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके अतिरिक्त, ग्वालियर में 35.8 डिग्री, टीकमगढ़-नर्मदापुरम में 35 डिग्री, उज्जैन में 34.5 डिग्री, जबलपुर में 34.2 डिग्री और इंदौर में 32.5 डिग्री तापमान दर्ज किया गया.

भोपाल में तेज धूप और उमस ने बढ़ाई परेशानी, जानें अगले 5 दिन कैसा रहेगा मौसम

भोपाल. राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में अक्टूबर के पहले दिन तेज धूप और उमस ने लोगों को काफी परेशान किया. बारिश के बाद भोपाल की सड़कों पर धूल के गुबार देखे जा रहे हैं. भोपाल के मुख्य मार्गों पर चल रहे निर्माण कार्यों के कारण भी लोगों को धूल-मिट्टी का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले, रविवार को शहर के कैचमेंट एरिया में हुई बारिश के बाद सोमवार सुबह भदभदा और कलियासोत डैम के एक-एक गेट खोले गए थे.

यह उल्लेखनीय है कि इस मानसून सीजन में भोपाल में सामान्य से लगभग 38% अधिक बारिश दर्ज की गई है. हालांकि, अब धीरे-धीरे मानसून की विदाई शुरू हो रही है. मौसम वैज्ञानिक अभिजीत चक्रवर्ती के अनुसार, प्रदेश में अभी कोई स्ट्रॉन्ग सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिसके चलते अगले 5 दिनों तक प्रदेश में कहीं भी भारी बारिश की संभावना नहीं है. मंगलवार को प्रदेश में तेज धूप के कारण तापमान में भी वृद्धि देखी गई.

भोपाल में पारा 34 डिग्री के पार
मंगलवार को राजधानी भोपाल में तेज धूप के कारण लोगों को उमस का सामना करना पड़ा. यहां तापमान 34.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके अतिरिक्त, ग्वालियर में 35.8 डिग्री, टीकमगढ़-नर्मदापुरम में 35 डिग्री, उज्जैन में 34.5 डिग्री, जबलपुर में 34.2 डिग्री और इंदौर में 32.5 डिग्री तापमान दर्ज किया गया.